‘मेरे बेटे का सपना वकील बनना था…’ परभणी में हिरासत में हुई दलित युवक की मौत का पूरा मामला

“मेरा बेटा पढ़ना चाहता था. उसका सपना वकील बनने का था. वौ तैराकी का शौकीन था और वह कोई नशा नहीं करता था… मेरे बच्चे को जानबूझकर उठाया गया था. उसे उठा कर ले गए और उसे खूब पीटा. मेरे बच्चे को मार डाला गया और फिर मुझे बुलाया गया.”

न्यायिक हिरासत में मृत दलित युवक सोमनाथ सूर्यवंशी की मां विजया वेंकट सूर्यवंशी की आंखों में बेटे की मौत का ग़म साफ़ झलक रहा था.

उनका आरोप है कि उनके बेटे को कोई बीमारी नहीं थी और वह क़ानून की परीक्षा देने परभणी आए थे, जब पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार किया.

मामला तूल पकड़ने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने परभणी हिंसा से जुड़े मामले की जांच और मृतक के परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की.

विजया सूर्यवंशी के 35 वर्षीय बेटे सोमनाथ सूर्यवंशी की न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी. सोमनाथ वडार समुदाय से आते हैं.

परभणी में हुई हिंसा के मामले में परभणी पुलिस ने सोमनाथ को गिरफ्तार किया था.

‘मेरा बेटा वकील बनना चाहता था’

जब हम 17 दिसंबर को परभणी के भीमनगर इलाके़ में पहुंचे तो विजया महिलाओं से घिरी हुई थीं. 16 दिसंबर की शाम को सोमनाथ सूर्यवंशी का अंतिम संस्कार किया गया था.

विजया के तीन बच्चे हैं जिनमें सबसे बड़े बेटे सोमनाथ सूर्यवंशी परभणी में क़ानून की पढ़ाई कर रहे थे. वह परीक्षा देने परभणी गए थे.

बीबीसी मराठी को विजया ने बताया, “सोमनाथ पांच तारीख़ को परभणी आए थे. 10 तारीख़ तक हमारी फ़ोन पर बात होती रही. लेकिन 11 से 15 तारीख़ तक उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया.”

इसके बाद विजया को सोमनाथ की मौत की ख़बर पता चली.

वह कहती हैं कि पुलिस ने बताया कि ‘सोमनाथ को दिल का दौरा’ पड़ा था, लेकिन विजया को पुलिस पर भरोसा नहीं है.

वो कहती हैं, “मेरा बेटा वकील बनना चाहता था. वह कोई नशा नहीं करता था. पान, बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू कुछ भी नहीं. यहां तक कि सुपारी तक नहीं खाता था. उसे कोई बीमारी भी नहीं थी.”

विजया ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा, “मेरे बच्चे को बेरहमी से ख़ूब पीटा गया. मेरे बच्चे के नाज़ुक अंगों पर मारा गया. उसकी जांघों और छाती पर चोट की गई. इससे मेरे बच्चे की मौत हो गई.”

सोमनाथ के छोटे भाई प्रेमनाथ सूर्यवंशी ने कहा, “पुलिस ने मेरे भाई को तीन-चार दिनों तक बुरी तरह पीटा. उन्होंने उसके कपड़े उतार दिए और तब तक मारा जब तक उसकी मौत नहीं हो गई.”

सोमनाथ के शव का पोस्टमॉर्टम 16 दिसंबर को छत्रपति संभाजीनगर के घाटी अस्पताल में किया गया था.

पोस्टमॉर्टम की शुरुआती रिपोर्ट में सोमनाथ सूर्यवंशी की मौत का कारण ‘मल्टीपल इंजरी के बाद सदमा’ लगना बताया गया है.

क्या है पूरा मामला

10 दिसंबर को परभणी में डॉ. बाबा साहब आंबेडकर की प्रतिमा के सामने लगी संविधान की प्रतिकृति को तोड़ दिया गया था.

बताया जा रहा है कि तोड़फोड़ करने वाला शख्स मनोरोगी है और उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है.

इस घटना के विरोध में डॉ. आंबेडकर के अनुयायियों ने 11 दिसंबर को शहर बंद रखने की अपील की थी. इस बंद ने बाद में हिंसक रूप ले लिया था और कुछ दुकानों और वाहनों पर पथराव की घटनाएं भी हुईं.

हिंसा की घटना के लिए पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ़्तार किया उनमें सोमनाथ सूर्यवंशी भी थे.

सोमनाथ को दो दिनों तक पुलिस हिरासत में रखा गया, इसके बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

पुलिस के मुताबिक़ 15 दिसंबर की सुबह सोमनाथ ने सीने में दर्द की शिकायत की, जिसके बाद उन्हें एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

परभणी हिंसा के मामले में जो गिरफ़्तारियां हुईं, उसे लेकर आरोप है कि पुलिस ने ज़रूरत से अधिक बल प्रयोग किया. इस दौरान कई लोगों ने गंभीर चोट लगने की शिकायत भी की.

भीम नगर में 11 दिसंबर की दोपहर क्या हुआ?

हम 16 दिसंबर की दोपहर भीम नगर पहुंचे. उस दौरान बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमा के पास कई महिला-पुरुष सोमनाथ के शव का इंतज़ार कर रहे थे. उनका शव संभाजीनगर से परभणी लाया जा रहा था.

भीम नगर के ही रहने वाले सुधाकर जाधव ने बताया, “दोपहर तीन बजे पुलिस आई. पांच लोग घर में घुस गए. वे मेरे लड़के को बाहर ले गए और पीटना शुरू कर दिया. उसे जानवरों की तरह पीटा गया. जब मैं उसे छुड़ाने के लिए उस पर गिर पड़ा, तो वो मुझे भी पीटने लगे.”

सुधाकर कहते हैं, “मेरे बेटे को इतना पीटा गया कि उसकी चमड़ी उधड़ गई. मुझे जिस छड़ी से पीटा वो भी मुड़ गई. उन्होंने मुझे पीठ और सिर पर मारा.”

सुधाकर ने अपने बच्चे को इलाज के लिए नासिक अपने एक रिश्तेदार के पास भेज दिया है. सुधाकर के हाथों पर अभी भी चोट के निशान साफ़ दिख रहे थे.

सुधाकर ने आगे कहा कि किडनी के ऑपरेशन के कारण वह घर पर ही रहते हैं, बाहर नहीं जाते और उस दिन आंदोलन में भी उन्होंने हिस्सा नहीं लिया.

इसी क्षेत्र से पार्षद सुशील कांबले ने कहा, “महिलाओं के प्राइवेट पार्ट्स पर चोट की गई. कुछ को तब तक पीटा गया जब तक वे बेहोश नहीं हो गईं. पुलिस ने उन्हें इतनी बेरहमी से मारा है.”

एक नेत्रहीन महिला ने हमें बताया कि उनके बेटे की पीठ और सिर पर मारा गया.

पुलिस पर क्रूरता के आरोप

परभणी में हिंसा के बाद पुलिस पर आंबेडकर और बौद्ध बस्तियों में तलाशी अभियान चलाने और वहां के नागरिकों की पिटाई करने का आरोप लगा है.

आंबेडकरवादी आंदोलन के कार्यकर्ता राहुल प्रधान ने कहा, ”11 तारीख़ को परभणी हिंसा के बाद पुलिस ने आंबेडकर और बौद्ध बस्तियों में तलाशी अभियान चलाया. इस दौरान उन्होंने निर्दोष लोगों के घर तोड़ दिए, जिनका इससे कोई लेना-देना नहीं था. लोगों के घरों के दरवाज़े तोड़ दिए. जो भी दिखा उनकी पिटाई की गई, किसी को छोड़ा नहीं गया.”

आंबेडकरवादी आंदोलन के नेता विजय वाकोड़े कहते हैं, “पुलिस ने आंदोलनकारियों की बस्तियों में तलाशी अभियान (कॉम्बिंग ऑपरेशन) चलाकर दहशत पैदा कर दी. आंबेडकरवादी समुदाय की बस्तियों को निशाना बनाया गया है. पुलिस सोमनाथ सूर्यवंशी को दो दिनों तक पीटती रही.”

हालांकि पुलिस ने ज़रूरत से अधिक बलप्रयोग से इनकार किया है.

पूर्व आईपीएस अधिकारी शिरीष इनामदार कहते हैं, “कॉम्बिंग ऑपरेशन में संज्ञेय अपराधी को गिरफ़्तार करने के लिए पुलिस उस इलाक़े को घेरती है और तलाशी अभियान चलाती है.”

हालांकि परभणी के पुलिस अधीक्षक कार्यालय में नांदेड़ ज़ोन के विशेष पुलिस महानिरीक्षक शाहजी उमाप ने बीबीसी मराठी से कहा, “पुलिस ने कॉम्बिंग नहीं की.”

पुलिस पर लगे आरोपों को ख़ारिज करते हुए उमाप ने कहा, “11 तारीख़ को पथराव और आगजनी की घटना में जो आरोपी गिरफ़्तार किए गए थे, वे हिरासत में हैं. उसके बाद किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई, पुलिस किसी के पास नहीं गई. घर पर पुलिस की ओर से आतंक या तलाशी का कोई मामला सामने नहीं आया है.”

पुलिस की पिटाई के कारण सोमनाथ सूर्यवंशी की मौत के आरोपों पर उन्होंने कहा, “इस बारे में बात नहीं कर सकते. मेडिकल रिपोर्ट से स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.

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